Friday, April 13, 2012

जब मेरी याद आये


जब मेरी याद आये
मुझे ख़त लिखना
ख़त में चाहे एक लफ्ज़
ना लिखना
पर उस पर मेरा पता
अपने हाथ से लिखना
तुम्हारी हाथों की लिखावट
देख कर ही खुश हो लूंगा
अब भी तुम्हारे पास
कुछ लम्हे बचे हैं मेरे लिए
जान कर सुकून से
जीता रहूँगा
दूर रहते हुए भी
तुम्हें अपने दिल के
करीब पाऊंगा
12-04-2012
437-18-04-12

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