ज़िन्दगी के
कई पन्ने
रंग बिरंगी
पक्के रंग की
स्याही से
लिखे गए हैं
बेतरतीब
लाइनों से भरे हैं
उनमें सब कुछ
है
ईमान,सत्य,प्यार,स्नेह,
घ्रणा,इर्ष्या द्वेष,
अहम् और
स्वार्थ के
अलग अलग रंग
हैं ,
बहुत कोशिश कर
ली
कुछ लाइनें
मिटा दूं ,
पर मिटा नहीं
पाता
अब सोचा है
पन्ना ही बदल
दूं ,
नए पन्ने पर
सलीके से
नयी लाइनें
बनाऊँ
मन की उस
पेंसिल को
काम में लूं ,
जिसमें ईमान,सत्य,
प्यार स्नेह
के रंग तो पक्के हों
घ्रणा ,इर्ष्या
द्वेष,अहम् और स्वार्थ के
रंगहीन हों
जो ना दिखे ना
याद आयें ,
दूसरों को
तो नहीं बदल
सकता
पर खुद को
तो बदल सकता
हूँ
27-04-2012
477-58-04-12
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