जीवन के
सृजन कर्ता से
पूछा मैंने एक
दिन
क्यों आपने
संसार में
सांस लेने
वालों का नाम
जीव रखा
वो मुस्कारा
कर बोला
जी का वन ही
तो जीवन है
जिसमें सुन्दर
पेड़ हैं तो
कंटीली
झाड़ियाँ भी
इंसान हैं तो
हिंसक जानवर
भी
कल कल करते
झरने हैं तो
गंदे पानी से
भरे गड्डे भी
नर्म घास के
मैदान हैं तो
पथरीले रास्ते
भी
मारने वाले
हैं तो
बचाने वाले भी
क्या नहीं है
जी के इस वन में
यह सोच मैंने
सांस लेने
वालों का
नाम जीव
सांस जब तक
चले
तब तक जीवन के
नाम से
संबोधित किया
28-04-2012
481-62-04-12
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