Thursday, April 12, 2012

ज़िन्दगी ने हमें सताया बहुत


हमें सताया बहुत
हँसते हुए को रुलाया
बहुत
हमने भी उसे छकाया
बहुत
वो गिराने की कोशिश
करती रही 
हमें लंगडी लगाती रही
हमने भी हार मानी नहीं
कभी लडखडाते
कभी गिर पड़ते
बार बार खड़े होते रहे
खुद को सम्हाल कर
आगे बढ़ते रहे
निरंतर हँसते रहे 
11-04-2012
433-13-04-12

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