शाम का समय था
तेज़ बरसात में
छाता पकडे खडा था
बरसात रुकने का
इंतज़ार कर रहा था
तभी सामने नज़र पडी
वो सड़क के दूसरी तरफ
पेड़ के नीचे खड़ी थी
बरसात में भीग रही थी
तेज़ बरसात में
छाता पकडे खडा था
बरसात रुकने का
इंतज़ार कर रहा था
तभी सामने नज़र पडी
वो सड़क के दूसरी तरफ
पेड़ के नीचे खड़ी थी
बरसात में भीग रही थी
निरंतर परेशानी से
इधर उधर देख रही थी
पहली नज़र में मुझे
पहली नज़र में मुझे
भा गयी
मन चाहने लगा
छाते में साथ आ जाए
बरसात से बच जाए
दिल को
छाते में साथ आ जाए
बरसात से बच जाए
दिल को
सुकून मिल जाए
अचानक
उसने मेरी तरफ देखा
मैंने मुस्काराकर हाथ
हिलाया
अचानक
उसने मेरी तरफ देखा
मैंने मुस्काराकर हाथ
हिलाया
उसने भी मुस्करा कर
इशारे से मुझे बुलाया
दौड़ कर उस तरफ पहुंचा
कुछ कहता
उस से पहले ही
एक गाडी आकर रुकी
उसने दरवाज़ा खोला
बिना कुछ कहे अन्दर
बैठ गयी
देखते ही देखते, गाडी
चली गयी
मैं खडा का खडा रह गया
मन उदास हो गया
सपना देखने से पहले ही
टूट गया
14-04-2011
670-103-04-11
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