Wednesday, April 27, 2011

बीते वक़्त को याद क्या किया

बीते वक़्त को याद
क्या किया
अश्कों का झरना
बहने लगा
बहुत मुश्किल से भूला था
किस्सा पुराना छिड़ गया
हर लम्हा आँखों से
गुजरने लगा 
सिलसिला जागने का
फिर शुरू हो गया
काफिला आगे बढ़ गया
मैं पीछे रह गया
निरंतर किस्मत पर
रोता रहा
मोहब्बत में बर्बाद
होता रहा
27-04-2011
768-188-04-11

1 comment:

Unknown said...

शानदार भाव अच्छी रचना. बधाई स्वीकारें

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