मन में जिज्ञासा थी
सो पूंछने लगा
कौन कौन मित्र,रिश्तेदार
आते हैं ?
सब लोग मित्र को
याद करते होंगे ?
सब की मदद करता था
उसकी कमी महसूस
करते होंगे ?
बहुत व्यथित हो कर
कौन कौन मित्र,रिश्तेदार
आते हैं ?
सब लोग मित्र को
याद करते होंगे ?
सब की मदद करता था
उसकी कमी महसूस
करते होंगे ?
बहुत व्यथित हो कर
कहने लगे
बेटा कौन किस को याद
करता है ?
भूले भटके कोई आ जाता है
उसके जन्म दिन पर
भूले भटके कोई आ जाता है
उसके जन्म दिन पर
या म्रत्यु दिवस पर ज़रूर
दो चार फोन आते हैं
वो भी धीरे धीरे कम होते
वो भी धीरे धीरे कम होते
जा रहे हैं
जीवन का सत्य है
मनुष्य निरंतर अपने
जीवन का सत्य है
मनुष्य निरंतर अपने
कामों में
इतना उलझा गया है
कौन गया ?
कौन गया ?
कहाँ याद रहता है
जो है वो ही याद रहता है
कभी कोई
जो है वो ही याद रहता है
कभी कोई
किस्सा याद आ जाए तो
व्यक्ती याद आता है
अन्यथा दिमाग के बाहर
अन्यथा दिमाग के बाहर
रहता है
जिसका जाता वो भुगतता
रहता
29-04-2011
778-198-04-11
1 comment:
बहुत शानदार. आप बधाई के पात्र हैं.
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
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