Saturday, April 30, 2011

यादें ही अब सहारा

दिल बहलाने  के लिए
हर उस जगह जाता
जो उन्हें पसंद थी
हर गीत वही गुनगुनाता
जो वो गाती थी
कोई और तरीका नहीं
उन्हें याद करने का
निरंतर अहसास होता
मुझे उनके पास होने का
यादें ही अब सहारा
मिलना ना हो उनसे
ज़न्नत में जब तक
30-04-2011
786-206-04-11

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