मेरा उनका
ख्यालों का रिश्ता
दिल कहाँ बीच में आता ?
मिलना रोज़ होता
निरंतर मसलों पर चर्चा होता
हंस हंस कर बात करना होता
कभी नौक झोंक का
माहौल होता
ज़माने को ये भी बर्दाश्त
ना होता
हर मुलाक़ात पर शक होता
शहर में चर्चा होता
कैसे टूट जाए रिश्ता हमारा
इसी में लोगों का वक़्त
गुजरता
नफरत का खेल चलता
रहता
हर रिश्ता नापाक
ना होता
28-04-2011
771-191-04-11
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