ज़माने
को पसंद ना था
तुम्हारा,हमसे मिलना
उनकी नापाक नज़रों से
बचना था
इसलिए तुमसे कहा था
कभी ना मिलना
ये तो ना कहा था
ख्यालों में ना रखना
ख़्वाबों में ना आना
मेरे घर के बाहर से
ना निकलना
कभी कहीं ना दिखना
निरंतर मुंह छिपाना
खुद भी रोना,हमें भी
रुलाना
तबाह दिलों को
करना
24-04-2011
749-169-04-11
No comments:
Post a Comment