सब पीछे रह गया
बड़े से जतन से इकट्ठा किया
धन दौलत का एक एक कतरा
रह गया
ज़मीन ज्यादाद सब पीछे छूट गया
कितनों को धोखा दिया ?
कितनों को दुःख पहुंचाया ?
चैन आराम कभी ना देखा
जीवन का अर्थ धन को समझा
प्यार का दिखावा किया
सब व्यर्थ गया
निरंतर होड़ में जी ना सका
ना कभी संतुष्ट रहा
मन सदा उद्वेलित रहा
क्या पाया अब समझ आ रहा
पहले क्यों कभी ध्यान ना किया
अब पछता रहा
अब कुछ कर ना सकता
चाहूँ भी तो हो ना सकता
वक़्त चला गया
सब पीछे रह गया
30-04-2011
791-211-04-11
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