Saturday, April 30, 2011

सब पीछे रह गया

सब पीछे रह गया
बड़े से जतन से इकट्ठा किया
धन दौलत का एक एक कतरा
रह गया
ज़मीन ज्यादाद सब पीछे छूट गया
कितनों को धोखा दिया ?
कितनों को दुःख पहुंचाया ?
चैन आराम कभी ना देखा
जीवन का अर्थ धन को समझा
प्यार का दिखावा किया
सब व्यर्थ  गया
निरंतर होड़ में जी ना सका
ना कभी संतुष्ट रहा
मन सदा उद्वेलित रहा
क्या पाया अब समझ आ रहा
पहले क्यों कभी ध्यान ना किया
अब पछता   रहा
अब कुछ कर ना सकता
चाहूँ भी तो हो ना सकता
वक़्त चला गया
सब पीछे रह गया     
30-04-2011
791-211-04-11

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