कुछ बचा नहीं,जिस के लिए रोऊँ
जिस के लिए रोऊँ
अब कोई रुलाने वाला
ना रहा
सब कुछ लूट ले गया
उम्मीदें साथ ले गया
अन्धेरा छोड़ गया
इंतज़ार भी ले गया
निरंतर
उफनते ख्यालों को
खामोश कर गया
ख़्वाबों को आराम दे गया
ये ही क्या कम है
जाते जाते सुकून दे गया
मौत का रास्ता आसान
कर गया
17-04-2011
694-118-04-11
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