मोहब्बत के
बादल तो आये
मगर कभी बरसे नहीं
निरंतर प्यास तो जगायी
मगर कभी बुझायी नहीं
अक्स अपना दिखाते थे
सूरत कभी दिखायी नहीं
दिल पे
दस्तक निरंतर देते थे
दरवाज़ा खोला तो
कभी दिखे नहीं
ख़्वाबों में रोज़ आते थे
दिन में
नज़र
कभी आये नहीं
14-04-2011
671-104-04-11
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