इसी में खुश हूँ
अपने दर्द खुद सहता
ग़मों की दरिया में
बहता रहता
ना अश्क बहाता
ना दुखड़ा दुनिया को
सुनाता
निरंतर मुस्कराता रहता
नाम उनका आने पर
दिल खुश होता
उनकी बेवफाई भूलता
सिर्फ लम्हे खुशी के
याद करता
अश्क बहाने से गर कुछ
मिलता
दरिया अश्कों की
बहा देता
दिल तो दिल वालों से
मिलता
बेवफा सिर्फ
कातिल-ऐ-दिल होता
21-04-2011
723-145-04-11
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