कई बार
ज़िन्दगी में लड़ा हूँ
हर बार रोकर हंसा हूँ
कब तक सहना पडेगा
कब तक लड़ना पडेगा
पता मुझे नहीं
बवंडर रोज़ आते
कोशिश उड़ाने की करते
ठान कर बैठा हूँ
हार नहीं मानूंगा
कमज़ोर जरूर हुआ हूँ
मगर थका नहीं हूँ
निरंतर अपनों ने
जलाया मुझ को
मगर जला नहीं हूँ
हर बार
बच कर निकला हूँ
इस बार भी बच कर
निकल जाऊंगा
कल फिर हंसता हुआ
मिलूंगा
18-04-2011
701-124-04-11
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