Friday, April 15, 2011

बातें दिल लेने देने की करो

जिसने तुम्हें
खूबसूरत सूरत से
नवाज़ा
उसने ही मुझे
मोहब्बत से लबरेज़
दिल दिया
फिर निरंतर क्यूं इतराते
 
इतना ?
जब मालिक एक है
फिर क्यों दूर रहते इतना
पता खुदा को
तुम्हारे सुलूक का चलेगा
उसे अच्छा ना लगेगा
उसके नाराज होने से
पहले
गरूर अपना कम करो
अब दूरी को कम करो
बातें दिल लेने देने
की करो  
15-04-2011
679-04-2011

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