मेरी सूरत देख कर
क्यूं सांस तुम्हारी चढ़ती ?
क्या तुम्हारी
बेवफ़ाई उसे रोकती?
दिल तुम्हारा हकीकत
जानता
वो भी कुछ कहता होगा
निरंतर सुकून से
कहाँ रहने देता होगा
फिर क्यों जिद पर अड़े हो
क्यूं नहीं
बात दिल की मानते
सामने गर कह ना सको
मिलो जब मुस्करा देना
रजा
दिल की बता देना
15-04-2011
684-108-04-11
No comments:
Post a Comment