Saturday, April 23, 2011

दिल-ऐ-सुकून

मुझे मालूम 

तुम्हारे पास
वक़्त नहीं मेरे लिए
तुम मिलोगे कभी
उम्मीद नहीं मुझे
छोटी सी इल्तजा
मेरी सुन लो
कभी कभी
याद कर लिया करो
तुमने याद किया
मुझे हिचकी से
पता चल जाएगा
इतना ही काफी है
निरंतर
 दिल-ऐ-सुकून
के लिए
23-04-2011
743-163-04-11

1 comment:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुन्दर सकारात्मक अभिव्यक्ति ....