Tuesday, April 17, 2012

आओ ज़िन्दगी के सांवले चेहरे को निखारा जाए


आओ ज़िन्दगी के
सांवले चेहरे को निखारा जाए
क्यों अमावस की रात में
चाँद उगाया जाए
भूखे को रोटी
प्यासे को पाना पिलाया जाए
पड़ोसी के साथ मिल कर
हँसा जाए
ईमान को जीने का तरीका
बनाया जाए
अपनों को साथ रख कर
परायों को अपना बनाया जाए
अब इंसान बन कर जिया जाए
प्यार भाईचारे को
ज़िन्दगी का मकसद बनाया जाये
आओ ज़िन्दगी के
सांवले चेहरे को निखारा जाए 
16-04-2012
441-22-04-12


1 comment:

Anju (Anu) Chaudhary said...

जिंदगी की भागमभाग में ये सब कुछ बहुत पीछे छूट गया हैं ..