Thursday, October 25, 2012

कहीं इतना निश्चिंत ना हो जाऊं



कुछ घटनाएं
ऐसी घटती रहती 
बीती घटनाओं की
दिलाती
भूलना चाहूँ तो भी
नियती भूलने नही देती
बार बार याद करने को
मजबूर करती
चाहती उन्हें सहेज कर
सीने से लगाए रखूँ
मुझे सचेत रखती हैं
कहीं इतना निश्चिंत
ना हो जाऊं
पहले से भी बड़ा धोखा
 ना खा जाऊं
793-35-25-10-2012
निश्चिंत,धोखा,घटनाएं    

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