Tuesday, October 23, 2012

ये हवा भी ना जाने कितने चेहरे बदलती है



ये हवा भी ना जाने
कितने चेहरे बदलती है
कभी आंधी बन कर
कभी तूफ़ान बन कर
तांडव मचाती है
कभी मंद शीतल
मधुर स्वर लहरी सी
कानों में बंसी बजाती है
मन को प्रफुल्लित करती है
कभी गोरियों के आँचल से
कभी बालों से
अठखेलियाँ करती है
आशिक मिजाजी का
सबूत देती है
कभी सांय सांय की
ध्वनी से
मरघट की याद दिलाती है
पता नहीं कहाँ से आती है
कहाँ जाती है
ये हवा भी ना जाने
कितने चेहरे बदलती है
776-21-23-10-2012
हवा, चेहरे, अठखेलियाँ

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