Wednesday, October 3, 2012

खुशी तो खुशी होती



गली के
आखिरी छोर में बने
लम्बे घने वृक्षों से घिरे
मेरे मकान में
पत्तों से छन कर
धूप भी टुकड़ों में आती
पर मुझे वही काफी लगती
ठीक मेरी ज़िन्दगी की
खुशियों की तरह
छोटी छोटी बातें ही
मुझे खुश कर देती
लोग कहते हैं
मैंने ज़िन्दगी में बड़ी
खुशी देखी ही नहीं
पर इस बात का मुझे
कोई रंज नहीं
सोचता हूँ
खुशी तो खुशी होती
छोटी या बड़ी से क्या
फर्क पड़ता है
सोच उसे बड़ा छोटा
बनाता है
इंसान संतुष्ट नहीं हो तो
बड़ी खुशी भी उसे
छोटी लगती

756-01-03-10-2012
खुशी,संतुष्ट,संतुष्टी,सोच, ज़िन्दगी

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