Sunday, October 28, 2012

पुराने पेड़ों की छाया में


जवान बूढ़े हर तरह के लोग
पुराने पेड़ों की छाया में
सदा से आराम करते रहे हैं
बरसात में भीगने से
आंधी तूफ़ान
तेज़ धूप की गर्मी से
बचने के लिए
उनकी छाया में बैठते रहे हैं
नए पेड़ जोश में तेज़ी से
बढ़ते अवश्य हैं
पर नए पेड़ों में
ना घने पत्ते होते हैं
ना ही घनी छाया होती है
चाहते अवश्य हैं
दुनिया को समेट लें
सब को छाया दे दें
पर सफल नहीं हो पाते हैं
समस्या में घिरते हैं तो
बड़े पेड़ों से पूछते अवश्य हैं
वे कैसे बचे थे
अकाल तेज़ गर्मी
आंधी और तूफ़ान से
बड़े पेड़ अपनी
समस्याओं का हल
कैसे ढूँढें
किस से पूछें
जीवन में जान नहीं पाते
बुजुर्गों का भी यही
हाल होता है
मरते दम तक छाया
तो देते हैं
पर उन्हें मन मुताबिक़
छाया कभी नहीं
मिलती
807-49-28-10-2012
बुढापा,अनुभव,जीवन

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