Wednesday, October 24, 2012

क्या खता इतनी बड़ी थी



क्या खता इतनी
बड़ी थी
क़त्ल किया नहीं 
सजा क़त्ल की दे दी
हमें इल्म नहीं था
शक क़त्ल से भी
बड़ा गुनाह होता
हमने तो छोटी बहन
समझ कर कहा था
हम तुम्हें चाहते हैं
तुमने इज़हार-ऐ-इश्क
समझ लिया
बिना सोचे समझे
गुनाहगार करार दे दिया
रिश्तों से ऐतबार ही
उठा दिया
783-26-24-10-2012
गुनाहगार,रिश्तों, गुनाह 

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