Tuesday, October 23, 2012

क्यों सताते हो


क्यों सताते हो
इतनी नफरत रखते हो
निरंतर हम पर
लांछन लगाते हो
हमारी हर बात को
गलत समझते हो
जो हमने
कभी सोचा भी नहीं
अपने मन से कहते हो
अगर हमसे
इतना परेशान हो
हम संसार से
जाने के लिए तैयार हैं
क्यों हमसे मुक्ती नहीं
पा लेते
क्यों हमारी जान नहीं
ले लेते
हर दिन हमें मारते हो
जीने नहीं देते हो
अब तक समझे नहीं
तुम क्या चाहते हो
या तो हिम्मत करो
हमारा नाम-ओ-निशाँ
ही मिटा दो
या तुम भी चैन से जीओ
हमें भी जीने दो
778-22-23-10-2012
लांछन ,नफरत

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