Thursday, October 25, 2012

मैं उड़ने की क्यों सोचूँ



मैं उड़ने की क्यों सोचूँ
जब धरती को जाना नहीं
आकाश की चिंता क्यों करूँ
कहाँ से बादल आते हैं
क्यों नीला पीला होता है
कहाँ से
सूरज चाँद निकलता
मैं क्यों जानूं
पहले धरती वासियों को
समझ लूं
पक्षी वृक्ष जीवों को जान लूं
बहती नदियों
गहरे समुद्र को देख लूं
कैसे इनकी रक्षा करूँ
कैसे धरती की सेवा करूँ
इनको तो जाना नहीं
इनकी चिंता करी नहीं
मनुष्य बन कर जिया नहीं
आकाश की चिंता क्यों करूँ
801-43-25-10-2012
इच्छाएं,आकांशाएं,चिंता,

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