Sunday, March 31, 2013

दिन ढल गया रात भी धोखा दे गयी



दिन ढल गया
रात भी धोखा दे गयी
उससे सपनों में
मिलने की इच्छा भी
पूरी ना हुयी
ह्रदय को ऐसे दर्द की
आदत नहीं है
जीना है अगर
हर अनहोनी के लिए
तैयारी करनी पड़ेगी
हार सहने की आदत भी
डालनी होगी
दर्द सहते सहते भी 
आँखों की
नमी सुखानी होगी
बेमन से ही सही
चेहरे पर हँसी भी
रखनी होगी
56-56-30-01-2013
जीवन,आदत,सहना, 
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

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