Sunday, March 24, 2013

अब मैंने डायरी लिखना बंद कर दिया है


अब मैंने डायरी लिखना
बंद कर दिया है
डायरी के पन्ने खुद भी पढता हूँ
तो उबकाई आने लगती है
डायरी भरी हुई है
रिश्तों के टूटने की यादों से
दोस्ती को दुश्मनी में
बदलने के किस्सों से
इर्ष्या और होड़ में फंसे
लोगों के किस्सों से
अपनों पर अपनों के
हमले की कहानियों से
विश्वाश पर विश्वासघात की
जीत के रोमांच से भरी 
घटनाओं से
सोचता हूँ अगर डायरी
किसी बच्चे के हाथ पड़ गयी
खेलने कूदने की उम्र में ही
उसे ज़िन्दगी की हकीकत
पता चल जायेगी
समय से पहले ही उसे
ज़िन्दगी से घ्रणा होने लगेगी
जब तक दूर है
ज़िन्दगी के काले सच से
तब तक तो ज़िन्दगी को
हँसते खेलते जी ले
इसलिए अब मैंने डायरी
लिखना ही बंद कर दिया है
केवल यादों उजले पक्ष से भरे
पन्नो को सम्हाल कर रखूंगा
बाकी पन्नों को नष्ट कर दूंगा
44-44-24-01-2013
विश्वाश, विश्वासघात,यादें ,ज़िन्दगी,जीवन,याद,इर्ष्य,रिश्ते ,डायरी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

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