Sunday, March 3, 2013

उनका चेहरा



कल रात लिखने बैठा तो
अचनाक ख्यालों में
उनका चेहरा सामने आ गया
दुविधा में फंस गया,
लिखने में ध्यान लगाऊंगा
तो चेहरे से ध्यान हटाना पडेगा
चेहरा देखता रहूँगा
तो कुछ लिख नहीं पाऊंगा
उहापोह में सारी रात
कलम हाथ में लिए बैठा रहा
कलम से तो कुछ नहीं लिख सका
पर इतनी लम्बी देर तक
उनके चेहरे को निहारने का
आनंद अवश्य मिला
मन को असीम शांती का
सुख मिला
उनकी सुन्दरता पर
लिखने के लिए कलम को
बहुत कुछ मिल गया
06-06-03-01-2013
प्रेम,प्रियतम ,मोहब्बत,प्यार ,विरह
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

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