Friday, March 29, 2013

अब वो नज़र नहीं आती


वही खिड़की
वही सड़क
वही चलते दौड़ते लोग
मगर अब
आँखों को चैन
हवा में महक नहीं
चिड़िया तक
चहकती नहीं
कितना भी ढूंढूं
नज़रें गडाए बैठूं
मगर अब वो
नज़र नहीं आती 
54-54-28-01-2013
इंतज़ार,प्यार,मोहब्बत
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर 

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