जब भी
मिलेंगे देखेंगे
कैसे मिलते हैं वो?
पहचानेंगे या अजनबी
समझेंगे वो ?
जख्म और देंगे या
मलहम लगायेंगे वो ?
निरंतर
दिल दुखाया उन्होंने
क्या दर्द कम करेंगे वो ?
क्या अधूरी हसरतों को
पूरा करेंगे वो ?
या फिर मंझधार में
छोड़ देंगे वो ?
29-04-2011
776-196-04-11
1 comment:
सुन्दर.
दुनाली पर देखें
चलने की ख्वाहिश...
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