Friday, July 15, 2011

पीया संग सब भूल गयी

ब्याह की
शहनायी बजी,
दुल्हन के मन में
हलचल बढी
पीया से मिलने की
उमंग जगी
चिंता भी सताने लगी
बाबुल का घर
सखियों का साथ 
छूटेगा
घर नया होगा,
जीवन का रंग
नया होगा
निरंतर पीहर की याद
सतायेगी
कैसे पार पायेगी ?
समझ नहीं पा रही थी
बारात
दरवाज़े पर आयी
मन की व्यथा अधूरी
रह गयी 
डोली विदा हुयी
पीया संग सब भूल 
गयी
15-07-2011
1187-70-07-11

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