Thursday, July 14, 2011

इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं

मकान
एक दूसरे से
सट गए 
घर मिट गए
दिल दूर हो गए
पेड़ कम हो गए
पक्षी निरंतर
बसेरे के लिए
स्थान ढूंढ रहे
इक्कीसवीं
सदी में जी रहे हैं
14-07-2011
1178-61-07-11

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