Friday, July 22, 2011

हसने वालों को भी कभी रोना होगा

कोई तो मेरा साथ दो

मेरे गम में आंसू बहाओ

मैं हंस रहा था

तब सब हंस रहे थे

अब क्यों मुंह छिपा रहे ?

मुझे पता नहीं था

दस्तूर ज़माने का निबाह रहे

हैरान हूँ

अब क्यों इंसान

इंसानियत नहीं निभाते

क्या रिश्ते

इतने कमज़ोर होते ?

कच्चे धागे से टूटते

ज़रुरत के हिसाब से चलते

वक़्त सदा

इकसार नहीं रहता

क्यूं लोग निरंतर भूलते ?

हसने वालों को भी कभी

रोना होगा

जीवन का हर रंग

देखना होगा

22-07-2011

1216-96-07-11

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