Sunday, July 24, 2011

ज़िन्दगी फ़ुटबाल का खेल

ज़िन्दगी

फ़ुटबाल का खेल

गेंद कभी इधर

कभी उधर रहती

कभी चोट खाते

कभी

ज़मीन पर गिरते

कभी गेंद गोल में

कभी गोल के बाहर

रहती

कभी विपक्षी भारी

कभी हम भारी

निरंतर

गम और खुशी साथ

चलती रहती

ध्यान

जिसका गेंद पर

वह जीतता

ध्यान हटाने वाला

निरंतर हारता

जीत के लिए खेलना

ज़रूरी

हार जीत खेलने से

होती

बिना खेले ज़िन्दगी

अधूरी रहती

24-07-2011

1222-102-07-11

No comments: