Monday, July 25, 2011

एक लेखक की कहानी

मांग कर खाने की

आदत ने भी

उसे निठल्ला नहीं

बनने दिया

मांगने के नए तरीके

ढूँढने में

मेहनत करने लगा

शादी ब्याह में

साफ़ सुथरे कपडे पहन

मेहमान बन भोजन का

आनंद लेने लगा

दिल को छू जाए

ऐसी कहानी सुना

सहानभूती बटोरने लगा

निरंतर पैसे कमाने लगा

नयी कहानियां गढ़ना

उसका शौक हो गया

धीरे धीरे कागज़ पर

लिखने लगा

अच्छे कहानीकारों की

जमात में शामिल

हो गया

अब सम्मानित लेखक है

पर मांगना,

कहानी सुना कर

भावनाओं में बहाना

पैसे कमाना नहीं छूटता

पहले मांग कर खाता

अब लिख और सुनाकर

कमाता

जो एक बार फंसता

तौबा करता

लेखकों से दूर रहता

दोस्तों को इनसे

बचने की

सलाह भी देता

25-07-2011

1227-107-07-11

(काव्यात्मक लघु कथा)

No comments: