Wednesday, July 27, 2011

हास्य कविता-हंसमुखजी साठ साल के हो गए, विवाह आनंद से वंचित ,कुंवारे के कुंवारे रह गए

साठ साल के हो गए
विवाह आनंद से वंचित
कुंवारे के कुंवारे रह गए
बालों पर खिजाब,
आँखों में सुरमा
कलफ लगे कपडे पहन कर
बाहर निकलते
निरंतर आती जाती
कन्याओं को छेड़ते
सालों बीत गए
जवाब को तरसते रहे
एक दिन भाग्य ने
पलटा मारा
कन्या ने इशारे से
पास बुलाया
हंसमुख जी का
मन ख़्वाबों में खो गया
दिल बल्लियों उछल गया
फ़ौरन भाग कर
कन्या के पास पहुंचे
कन्या ने झन्नाटेदार थप्पड़
गाल पर लगाया
इश्क का जूनून सर से
उतर गया
तुम्हें अच्छी तरह
पहचानती हूँ
तुम हंसमुख मैं क्रुद्ध मुखी
पचास साल से देख रही हूँ
तुम्हें शर्म नहीं आती
आदत नहीं बदलती
साठ की उम्र में
सत्तर की औरत को
छेड़ते हो
तुम मेकअप कर के
खुद को बीस का
समझते हो
मैं भी मेक अप में
अट्ठारह की लगती हूँ
मुझे सब पता है
बन्दर बूढा हो जाता
पर गुलाटी खाना नहीं
छोड़ता
अब हंसमुख जी
सड़क पर चलते हैं तो
नज़र भी नहीं उठाते
गलती से उठ भी जाए
तो सोलह साल की
कन्या को भी
अम्माजी कह कर
बुलाते हैं
साथ ही सबको
नसीहत भी देते हैं
दूध जले को छाछ
पीने की सलाह देते हैं
1244-124 -07-11

No comments: