Thursday, July 14, 2011

आज फिर याद ताज़ा हुयी ,ज़ुल्म की कहानी याद आयी

दिल-ओ-दिमाग में
झुरझुरी छायी
हर बात पुरानी 
याद आयी
कब और कहाँ ?
पहली बार दिखी थी
वो तारीख वो जगह
याद आयी
क्या उसने कहा ?
क्या मैंने कहा ?
हर बात याद आयी
दिल-ओ-जान एक
होते गए
निरंतर वादे पर वादे
करते रहे
मोहब्बत में खो गए
कैसे सपने टूटे ?
कैसे वो रूठ गए ?
हम रोते रह गए
ग़मों का बोझ सहते रहे
हर लम्हा उन्हें याद
करते रहे
आज फिर याद
ताज़ा हुयी
ज़ुल्म की कहानी
  याद आयी

14-07-2011
1184-67-07-11
 

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