Sunday, October 28, 2012

जीवन का क्या भरोसा


जीवन का क्या भरोसा
कब तक
साथ देगा पता नहीं
जाने से पहले 
जिनका भी ह्रदय दुखाया
उनसे क्षमा मांग लूं
जिन से भी धोखा किया
उनसे अपराध का
दंड मांग लूं
कभी मज़ाक उड़ाया हो
उनसे प्रताड़ित हो लूं
जीवन भर
अपराध बोध में जिया
उस बोझ से स्वयं को
मुक्त कर लूं
इश्वर ने संसार में भेजा था
निश्छल ह्रदय के साथ
वो निश्छल ह्रदय
इश्वर को वापस कर दूं
रोते हुए आया था 
हँसते हुए लौट जाऊं
803-45-29-10-2012
ज़िन्दगी,जीवन ,निश्छल ह्रदय

1 comment:

Yashwant R. B. Mathur said...


कल 29/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!