Saturday, June 2, 2012

हर सुबह ऐसी ही होगी

सूरज ने अंगडाई ली
कोपलें हँसने लगी
ओस की बूँदें
चमकने लगी
मंद बयार चलने लगी
धूल उडाती गायें
चरने निकल पडी 
परिंदों ने मुनादी
कर दी
सुबह हो गयी
नयी नवेली दुल्हन ने
भी आँखें खोली
आधी नींद में
चुल्हा फूंकने लगी
अब ज़िन्दगी भर
हर सुबह
ऐसी ही होगी  
02-06-2012
552-72-05-12

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