घर की मुंडेर
से
चिड़िया उड़ कर
मेरे घर के
बगीचे में आयी
यूँ लगा
जैसे
उनका पैगाम
लाई है
मैं उदास
चेहरे से
उसके पास गया
तो फुर्र से
उड़ गयी
मुझे यकीन हो
गया
मेरा हाल जानने
आयी थी
तब से अब तक
चिड़िया के आने
की
उम्मीद में
बगीचे में ही
बैठा हूँ
कभी तो आकर
उनका हाल
बतायेगी
मिलने का
पैगाम भी
साथ लायेगी
06-06-2012
578-28-06-12
1 comment:
बहुत ही भावपूर्ण अभियक्ति.....सुन्दर
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