उजड़ गयी
जब फसल सारी
तुम पूछते
खलिहान कहाँ है
बिखर चुका
जब परिवार सारा
तुम पूछते घर कहाँ है
खुद गए
रास्ते में गडडे
अब पूछते हो
रास्ता कहाँ हैं
कैसे बताऊँ
खुद ने ही मारी थी
कुल्हाड़ी
अपने पैरों पर
चढ़ाया था
सब को सर पर
समझाया था
कोई बड़ा नहीं
कोई छोटा नहीं
सब बराबर घर में
02-06-2012
556-76-05-12
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