आज फिर फिसल
गया
गहरी चोट खा
गया
जिसने पकड़ा
था हाथ
उसने ही छुडा
लिया
मांझी ने ही
किश्ती को
डूबा दिया
ना सुकून मिला
ना साहिल मिला
कातिल का असली
चेहरा दिख गया
वफ़ा को बेवफाई
में
बदलते देख लिया
आज फिर फिसल
गया
गहरी चोट खा
गया
25-06-2012
594-44-06-12
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