Saturday, June 2, 2012

ये कैसी ज़िन्दगी?



ये कैसी ज़िन्दगी?
जिसमें रंग नहीं
खुशी नहीं 
गले मिल कर
हँसना नहीं
मिलजुल कर
रहना नहीं
कल क्या होगा?
कल क्या करना है?
कैसा बीतेगा समय?
इसी ऊहापोह में
गुजरता हर दिन
गिले शिकवे निरंतर
हावी रहते  दिमाग पर
ना मन को चैन
ना ह्रदय में खुशी
मजबूरी में
जिए जा रहे सब
02-06-2012
553-73-05-12


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