राह
मुश्किल हो गयी
तो क्या चलना बंद
कर दूं
गिर गया तो क्या
उठूँ नहीं
जो चलेगा
वही तो गिरेगा
उठेगा नहीं तो
मंजिल पर
कैसे पहुंचेगा
मैं उनमें से नहीं
जो हार मन कर
बैठ जाते
मानता हूँ दर्द भी
होता है
आँखों में आंसू भी
आते हैं
लड़ता रहा हूँ
ज़माने से
वक़्त के थपेड़ों से
हर बार अंत में
मैं ही हँसा हूँ
इस बार भी मैं ही
हँसूँगा
सदा की तरह
चलता रहूँगा
हिम्मत होंसले से
आगे बढ़ता रहूँगा
05-06-2012
568-18-06-12
1 comment:
very nice!!!!!!!
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