Tuesday, June 5, 2012

राह मुश्किल हो गयी तो क्या चलना बंद कर दूं



राह
मुश्किल हो गयी
तो क्या चलना बंद
कर दूं
गिर गया तो क्या
उठूँ नहीं
जो चलेगा
वही तो गिरेगा
उठेगा नहीं तो
मंजिल पर
कैसे पहुंचेगा
मैं उनमें से नहीं
जो हार मन कर
बैठ जाते
मानता  हूँ दर्द भी
होता है
आँखों में आंसू भी
आते हैं
लड़ता रहा हूँ
ज़माने से
वक़्त के थपेड़ों से
हर बार अंत में
मैं ही हँसा हूँ
इस बार भी मैं ही
हँसूँगा
सदा की तरह
चलता रहूँगा
हिम्मत होंसले से
आगे बढ़ता रहूँगा
05-06-2012
568-18-06-12

1 comment:

Dr Neha Nyati said...

very nice!!!!!!!