उम्मीद की
छोटी सी किरण भी
अब किनारा लगती
मंजिल की दूरियां
कम लगती
अँधेरे में रोशनी की
किरण लगती
बुझे हुए चिरागों में
आग लगती
उम्मीद टूटती
ना रोशन होते चिराग
ना मिलता किनारा
ना दिखती मंजिल
फिर अंधेरी रात
दिखती
07-06-2012
587-37-06-12
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