Tuesday, June 5, 2012

हर हाल में संतुष्ट रहते

गोधुली वेला
मैं गाँव से शहर की
ओर
गाँव बैलों का रेवड़
धूल उडाता गाँव की ओर
अग्रसर
धूल से सांस लेना
दूभर होने लगा
गाँव बैलों पर क्रोध
आने लगा
मन ही मन
 उन्हें कोसने लगा
क्रोध शांत हुआ
मन में विचार आया
गाय बैलों को भी
धूल कष्ट देती होगी
जब सड़क ही धूल भरी
तो धूल भी उडेगी
वो ना तो क्रोध करते
ना ही
कभी शिकायत करते
जो भी,
जैसा भी मिलता उन्हें
सहर्ष स्वीकार करते
हर हाल में संतुष्ट रहते
05-06-2012
569-19-06-12

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