बोलने से पहले
ही चुप कर दिया
जाता हूँ
कभी मौक़ा मिल
भी गया
सच कह भी दिया
तो दो बात सुनता हूँ
गालियों से नवाज़ा
जाता हूँ
आदत से मजबूर हूँ
सब सहते हुए भी
सच बोलना चाहता हूँ
मन की निकालना
चाहता हूँ
07-06-2012
583-33-06-12
No comments:
Post a Comment