कैसे कहूँ ?
तुम्हारे ख्याल भर से
दिल में कुछ होता है
हसरतें अंगडाई लेने
लगती
उम्मीदें मुंह उठाने
लगती
लफ्ज होठों की
दहलीज पर आ कर
रुक जाते हैं
ना सुनने के खौफ से
डर जाते हैं
मन की बात मन में ही
रह जाती है
हर लम्हा तडपाती है
कैसे कहूँ
तुम्हारे ख्याल भर से
क्या कुछ सहता हूँ
03-06-2012
560-80-05-12
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