लोगों ने
पत्थर तो नहीं फैंके
बातों से
ही मारा मुझ को
बातों में वज़न
पत्थर से भी ज्यादा था
इतना कि
उठ ही नहीं सका
दोबारा
मैं फूल समझ कर
झेलता गया
उनकी हर मार पर
हंसता रहा
उनकी जुबान में
जवाब ना दे सका
अपना समझ
सहता रहा
07-06-2012
585-35-06-12
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